Swati Sharma

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लेखनी कहानी -24-Nov-2022 (यादों के झरोखे से :-भाग 16)

     परंतु सुषमा के माता पिता और भाई बहन ने उसे समझाया कि यह तेरी दोस्त है एवम इसने तेरी सहायता की है। अतः तू इसे नाराज़ मत हो इसको थोड़े ना मालूम था कि वह लड़की कैसी है। सुषमा को बात समझ में आ गई। अतः उसकी नाराजगी भी दूर हो गई। जब भी सुषमा के। माता पिता आते, वे मुझसे ज़रूर मिलते। सुषमा की मम्मी ने एक बार उसके लिए गुजिया भेजी, तब उन्होंने उह कहकर उसे भेजा कि इसमें से आधी स्वाति को भी खिलाना। अतः जो भी आंटी उसको देती वह मुझे भी देने को कहती। मैंने कहा आंटी क्यों परेशान होते हो आप। आंटी कहती तुम भी तो मेरी बेटी की तरह ही हो।

      कुछ समय पश्चात् मैं और सुषमा नए कमरे में शिफ्ट हो गए। जो हमारे मकान मालिक ने नए दो सिंगल कमरे बनवाए थे, उसमें हम दोनो को एक एक कमरा दे दिया। हम दोनों खुश हो गए। सुषमा तो बहुत ही ज़्यादा खुश हुई और उसने मुझे शुक्रिया कहा। वो बोली कि अगर तुम मुझे वहां से नहीं निकलती तो मुझे इतना अच्छा कमरा नहीं मिलता। मैंने उत्तर में केवल।मुस्कुरा भर दी।
       जब हम दूसरे कमरों में शिफ्ट हुए हमारे साथ वाले कमरों में और दो लड़कियां आईं। उनमें से एक का नाम प्रिंसी था। वह भी हमारी बहुत अच्छी दोस्त बन गई। हम सब साथ में खाना खाते। कुछ दिनों पश्चात् प्रिंसी की मम्मी भी उसके साथ रहने आ गईं। वे हम सबको तरह तरह के स्वादिष्ट व्यंजन बनाकर खिलातीं। हमारे टिफिन ऐसे के ऐसे ही रखे रह जाते। आंटी वाकई में बहुत स्वादिष्ट व्यंजन बनाती थीं, और फिर मां के हाथों का भोजन किसे पसंद नहीं आएगा? वह तो वैसे ही स्वादिष्ट होता है।
       प्रिंसी बहुत धीरे भोजन करती थी, करीब डेढ़ से दो घंटे उसे भोजन करने में लगते। तब तक तो हम सबका भोजन हज़म भी हो जाया करता था। मैं उसे प्यार से कछुआ कहती थी और वो मुझे खरगोश कहती थी। क्योंकि मेरा भोजन सबसे पहले खत्म हो जाता था।
      जब हम सबकी परीक्षाएं हो गईं। हम अपने अपने घर आने को हुए, तब वहां से आते समय मेरी आंखों से आंसू छलछला पड़े। उन सभी से इतना प्रेम और अपनापन मिला कि उन सबसे एक रिश्ता सा बन गया था। आते हुए हम सभी ने एक दूसरे की स्लेम बुक भरी और एक।एक अपने फोटो भी एक दूसरे को दिए। मेरी कोचिंग पर भी मेरी कई दोस्त बन गईं थीं। जिनके नाम हैं :- सरोज दीदी, मोनिका, अनुभा, सरोज, प्रीति, और भी कुछ दोस्त थीं, जिनके साथ मैं पढ़ाई भी करती थी और अपने प्रश्न और जो विषय समझ नहीं आते वो पूछती थी। उनके नाम मुझे अब याद तो नहीं हैं, परंतु, एक प्यारी सी यादें सबसे जुड़ी हुईं हैं। जो समय समय पर आती जाती रहती हैं।

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2 Comments

Vedshree

04-Dec-2022 07:14 PM

Bahut khub 👌

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Swati Sharma

04-Dec-2022 10:46 PM

Thank you 🙏🏻😇

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